द देवरिया न्यूज़,नई दिल्ली : अमेरिका की दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की करीबी सहयोगी मानी जाने वाली लौरा लूमर ने बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की लिंचिंग कर हत्या किए जाने की घटना पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने अमेरिकी सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि इस्लामी कट्टरपंथ को समय रहते नहीं रोका गया, तो इसका असर अमेरिका तक भी पहुंच सकता है।
लौरा लूमर ने 26 वर्षीय दीपू चंद्र दास की नृशंस हत्या को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिक्रिया दी। दीपू एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करता था और उस पर कथित ईशनिंदा का आरोप लगाकर कट्टरपंथियों ने उसकी बेरहमी से पिटाई कर हत्या कर दी। आरोप है कि हत्या के बाद उसके शव को पेड़ से लटकाकर जला भी दिया गया। इस घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
लूमर ने अपनी पोस्ट में अमेरिकी नेताओं से अपील की कि वे इस्लामी कट्टरपंथ और उससे जुड़ी फंडिंग के खिलाफ खुलकर आवाज उठाएं। उन्होंने लिखा कि अगर अभी चुप्पी साधी गई, तो यही कट्टरपंथ अमेरिका में भी यहूदियों और ईसाइयों के खिलाफ नफरत फैलाएगा और पश्चिमी समाज में चरमपंथ को सामान्य बनाने की कोशिश करेगा। उन्होंने लोगों से दीपू चंद्र दास का नाम याद रखने की अपील भी की।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि अमेरिका के कुछ मीडिया संस्थान जानबूझकर कट्टरपंथी इस्लामी हिंसा के मुद्दों को कमतर दिखाते हैं, जिससे चरमपंथ को बढ़ावा मिलता है। इस संदर्भ में उन्होंने प्रसिद्ध पत्रकार टकर कार्लसन पर भी निशाना साधा।
गौरतलब है कि इससे पहले लौरा लूमर अमेरिका में कुछ मुस्लिम नेताओं की चुनावी जीत को लेकर भी चेतावनी दे चुकी हैं। दीपू चंद्र दास की हत्या उस दौर में हुई, जब बांग्लादेश में भारत-विरोधी घटनाओं के बाद हिंसा भड़क उठी थी। इन घटनाओं को लेकर भारत समेत कई देशों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। आलोचकों का आरोप है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार हालात संभालने में नाकाम रही है और पश्चिमी मीडिया ने भी इस मुद्दे पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।
उल्लेखनीय है कि लौरा लूमर वही राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की जीत को लेकर सार्वजनिक रूप से भविष्यवाणी की थी।
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