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मैं जेटली जी को दिन में 10 मैसेज करता था, पूर्व CEA का जीएसटी पर चौंकाने वाला खुलासा, क्‍या चाहते थे?

Published on: December 26, 2025
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द देवरिया न्यूज़,नई दिल्ली : पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्यन ने स्पष्ट किया है कि उनके पद छोड़ने के पीछे सरकार से किसी तरह की अनबन नहीं थी। उन्होंने कहा कि चार साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद पद छोड़ना स्वाभाविक था। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ नीतिगत मुद्दों पर सरकार के साथ उनके वैचारिक मतभेद रहे, लेकिन इन्हीं कारणों से उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया।

अपनी किताब ‘ए सिक्स्थ ऑफ ह्यूमैनिटी’ पर आयोजित चर्चा के दौरान सुब्रमण्यन ने कहा कि अक्टूबर 2014 से जून 2018 तक का कार्यकाल उनके लिए संतोषजनक रहा। उन्होंने बताया कि उस समय तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली की सेहत भी ठीक नहीं थी, जिससे उनके साथ निरंतर सहयोग पहले जैसा नहीं रह पाया। ऐसे में उन्हें लगा कि चार साल से अधिक समय तक बने रहने से उनकी प्रभावशीलता कम हो सकती है।

पूर्व CEA ने कहा कि सलाहकार की भूमिका में मतभेद होना सामान्य है। उन्होंने GST को इसका प्रमुख उदाहरण बताया। सुब्रमण्यन के मुताबिक, उन्होंने शुरुआत में जीएसटी के लिए केवल तीन टैक्स स्लैब की सिफारिश की थी, लेकिन लागू होने के समय यह संख्या बढ़कर 10-12 हो गई थी। उन्होंने बताया कि इस जटिलता से वे निराश जरूर थे, लेकिन इसे उन्होंने एक सलाहकार के तौर पर अपनी सीमाओं का हिस्सा माना।

अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि वे जीएसटी लागू होने के दौरान अरुण जेटली से रोजाना संपर्क में रहते थे और बार-बार टैक्स संरचना को सरल रखने की अपील करते थे। इसके बावजूद, सभी सुझावों को लागू किया जाना संभव नहीं था। उन्होंने माना कि सलाहकार का काम सुझाव देना और सरकार को मनाने की कोशिश करना होता है, लेकिन हर लड़ाई जीतना संभव नहीं होता।

उन्होंने यह भी कहा कि केवल इस वजह से पद छोड़ देना सही नहीं है कि किसी की सलाह नहीं मानी गई। सलाहकारों को ‘मोटी चमड़ी’ रखनी चाहिए और धैर्य के साथ काम करना चाहिए। सुब्रमण्यन के अनुसार, उनके अनुभव ने उन्हें यह सिखाया कि नीति निर्माण में असहमति और समझौते दोनों साथ चलते हैं।


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