द देवरिया न्यूज़,इस्लामाबाद/नई दिल्ली : भारतीय संसद से SHANTI बिल के पारित होते ही पाकिस्तान में बेचैनी साफ दिखाई देने लगी है। पाकिस्तान ने इस विधेयक को लेकर सुरक्षा से जुड़ी चिंता जताते हुए कहा है कि वह इस पूरे घटनाक्रम पर करीबी नजर रखे हुए है। हैरानी की बात यह है कि यह प्रतिक्रिया उस पाकिस्तान की ओर से आई है, जिसके परमाणु सुरक्षा रिकॉर्ड पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। वहीं दूसरी ओर, अमेरिका ने भारत के इस कदम का खुले तौर पर स्वागत किया है।
भारत की संसद ने शीतकालीन सत्र के दौरान ‘भारत के रूपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (SHANTI) विधेयक’ पारित किया था। 20 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बन गया। इसे भारत के सिविल न्यूक्लियर फ्रेमवर्क में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है, क्योंकि इसके जरिए निजी क्षेत्र की भागीदारी का रास्ता खुल गया है। अब निजी कंपनियां और संयुक्त उद्यम सरकार से लाइसेंस लेकर परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण, स्वामित्व और संचालन कर सकेंगे।
पाकिस्तान ने जताई आपत्ति
SHANTI बिल पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने कहा कि भारत के परमाणु सुरक्षा में कथित चूक का इतिहास रहा है, ऐसे में निजी क्षेत्र को परमाणु क्षेत्र में प्रवेश देना चिंता का विषय हो सकता है। उन्होंने रेडियोएक्टिव सामग्री की अवैध बिक्री से जुड़े पुराने दावों को दोहराया, हालांकि भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि जांच में ऐसा कोई रेडियोएक्टिव पदार्थ नहीं पाया गया था।
पाकिस्तान का आरोप है कि यह विधेयक संवेदनशील परमाणु सामग्री तक निजी पहुंच को रोकने के वैश्विक प्रयासों के लिए चुनौती बन सकता है। इस पर भारत सरकार ने दो टूक जवाब देते हुए कहा है कि परमाणु सुरक्षा मानकों में किसी तरह की ढील नहीं दी गई है और तय सीमा से ऊपर यूरेनियम पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में ही रहेगा।
भारत की ऊर्जा नीति को मजबूती
फिलहाल भारत के कुल ऊर्जा उत्पादन में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी कम है, लेकिन SHANTI बिल के बाद इसके तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। यही वजह है कि पाकिस्तान इस कदम को लेकर असहज नजर आ रहा है।
अमेरिका ने किया समर्थन
जहां पाकिस्तान ने विरोध दर्ज कराया है, वहीं अमेरिका ने इस विधेयक का स्वागत किया है। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि SHANTI बिल भारत-अमेरिका के बीच मजबूत ऊर्जा सुरक्षा साझेदारी और शांतिपूर्ण सिविल न्यूक्लियर सहयोग की दिशा में अहम कदम है। अमेरिका ने ऊर्जा क्षेत्र में संयुक्त नवाचार, अनुसंधान और विकास के लिए भारत के साथ काम करने की इच्छा भी जताई है।
कुल मिलाकर, SHANTI बिल को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं—पाकिस्तान जहां आशंकाएं जता रहा है, वहीं अमेरिका इसे भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम बता रहा है।
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