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हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं…” — अब सिर्फ़ यादों में रहेंगे असरानी

Published on: October 22, 2025
We are from the British era
द देवरिया न्यूज़ ,मुंबई। “बड़ी मुश्किल से होता है, चमन में दीदा-वर पैदा…” — अल्लामा इक़बाल की ये पंक्तियां अभिनेता गोवर्धन असरानी के जीवन पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। भारतीय सिनेमा के इस महान कलाकार ने 84 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली, लेकिन उनके अभिनय की चमक और सादगी की छाप हमेशा कायम रहेगी। दशकों तक पर्दे पर अपनी कॉमिक टाइमिंग और प्रभावशाली अभिनय से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले असरानी अब हमारे बीच नहीं हैं।

दिवाली की शाम, जब पूरा देश रोशनी में डूबा था, तब फिल्म जगत ने एक सितारा खो दिया। 20 अक्टूबर की रात असरानी का मुंबई में निधन हो गया। परिवार ने बेहद सादगी से, बिना किसी तामझाम या फिल्मी भीड़ के, उनका अंतिम संस्कार किया — ठीक वैसे ही जैसे वे खुद चाहते थे।


आम आदमी की तरह विदाई की थी इच्छा

असरानी के मैनेजर बाबू भाई थीबा ने बताया कि अभिनेता हमेशा से बेहद साधारण जीवन जीते थे। वे कहा करते थे —

“जिस तरह मैंने शांति और सादगी से जीवन जिया है, उसी तरह मैं विदा भी लेना चाहता हूं।”

बाबू भाई ने बताया, “असरानी साहब नहीं चाहते थे कि उनके अंतिम संस्कार में कोई दिखावा या फिजूलखर्ची हो। वे एक आम आदमी की तरह इस दुनिया से जाना चाहते थे। इसी कारण हमने उनका संस्कार निजी तौर पर किया।”
यह सादगी उनकी पूरी ज़िंदगी की पहचान रही। सफलता के शिखर पर पहुंचने के बावजूद वे हमेशा विनम्र और आत्मीय रहे।

“20 सालों में उनसे इंसानियत सीखी” — मैनेजर बाबू भाई

बाबू भाई थीबा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा,

“मैं बीस वर्षों तक असरानी साहब के साथ रहा। उन्होंने मुझे सिर्फ़ काम नहीं, बल्कि इंसानियत सिखाई। उन्होंने मुझे बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा दी। उनके निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो संवेदनाएं व्यक्त कीं, उसके लिए मैं परिवार की ओर से आभार प्रकट करता हूं।”

उन्होंने आगे कहा कि असरानी ने अपने चाहने वालों के दिलों में जो जगह बनाई, वह अमिट है। “दर्शकों ने उन्हें जिस तरह सराहा, वह हमेशा याद रहेगा।”

चार दिन चला मौत से संघर्ष

असरानी को उनके निधन से चार दिन पहले मुंबई के जुहू स्थित भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे पिछले कुछ दिनों से कमजोरी महसूस कर रहे थे। सांस लेने में तकलीफ बढ़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
बाबू भाई ने बताया, “शुरुआत में उनकी हालत में सुधार दिखा, लेकिन तीसरे दिन अचानक तबीयत बिगड़ गई और चौथे दिन उन्होंने अंतिम सांस ली।”
उनकी आने वाली दो फिल्में — ‘भूत बांग्ला’ और ‘हैवान’ — अब उनकी अंतिम स्क्रीन उपस्थिति होंगी।

जब देश मना रहा था दीपावली, पंचतत्व में विलीन हो गया एक सितारा

असरानी का निधन दीपावली की रात हुआ, लेकिन यह बात सार्वजनिक तब हुई जब उनका अंतिम संस्कार पूरा हो चुका था।
फिल्म उद्योग की कई हस्तियों को भी यह जानकारी अगले दिन मिली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, फिल्म जगत की कई जानी-मानी हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया।
असरानी के निधन की खबर ने न सिर्फ़ फिल्म इंडस्ट्री बल्कि उन लाखों दर्शकों को भी स्तब्ध कर दिया जिन्होंने उन्हें दशकों तक पर्दे पर जिया।

शोले से ‘हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं’ तक

असरानी का करियर भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग का हिस्सा रहा।
उनका किरदार — “हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं” — फिल्म ‘शोले’ (1975) में ऐसा अमर हुआ कि आज भी यह संवाद सुनकर हर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।
उन्होंने हास्य भूमिकाओं के साथ-साथ चरित्र अभिनय में भी गहरी छाप छोड़ी।
1950 के दशक में रंगमंच से शुरुआत करने वाले असरानी ने करीब 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। ‘छोटी सी बात’, ‘चुपके चुपके’, ‘अभिमान’, ‘हम’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘राजा हिंदुस्तानी’ और ‘हुलचुल’ जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाएं आज भी दर्शकों के दिलों में ताज़ा हैं।

अन्नू कपूर ने असरानी की इच्छा को बताया प्रेरणा

वरिष्ठ अभिनेता अन्नू कपूर ने असरानी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे उनके विचारों से प्रेरित हैं।

“अगर मेरा निधन किसी त्योहार या राष्ट्रीय पर्व के दौरान हो, तो मैं भी चाहता हूं कि मेरा संस्कार शांति और गुप्त रूप से किया जाए। मैं किसी को परेशान नहीं करना चाहता। असरानी जी की यही सादगी उन्हें महान बनाती है।”

अन्नू कपूर ने कहा कि असरानी जैसे कलाकार विरले होते हैं, जिनके जाने के बाद भी उनके विचार जीवित रहते हैं।

असरानी: सादगी, संवेदना और सिनेमा का पर्याय

फिल्मों में हंसी का स्रोत बनने वाले असरानी असल ज़िंदगी में भी उतने ही सहज थे। वे अक्सर कहते थे —

“लोकप्रियता मिलना आसान है, पर सादगी बनाए रखना सबसे कठिन।”

उनकी यही सादगी और मानवीय दृष्टिकोण उन्हें असाधारण बनाता है।

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