उत्तराखंड पुलिस ने पत्रकार राजीव प्रताप की रहस्यमयी मौत की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। इस मामले ने प्रदेश भर में सनसनी फैला दी है, क्योंकि मृतक पत्रकार के परिवार का आरोप है कि उन्हें उनकी कुछ खबरों के प्रकाशित होने के बाद लगातार धमकियां मिल रही थीं।
राजीव प्रताप का शव बीते दिनों संदिग्ध परिस्थितियों में बरामद हुआ था। परिजनों ने आशंका जताई है कि यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो सकता है। उनका कहना है कि राजीव ने हाल ही में कई संवेदनशील और भ्रष्टाचार से जुड़ी खबरें प्रकाशित की थीं, जिसके बाद उन्हें अज्ञात व्यक्तियों की ओर से धमकी भरे फोन आने लगे थे।
परिवार के आरोपों और पत्रकार संगठनों की मांग के बाद उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए SIT का गठन किया है। SIT का नेतृत्व एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी करेंगे और इसमें कई अनुभवी पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया है।
पत्रकार संगठनों की मांग
राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार संगठनों ने राजीव प्रताप की मौत को “पत्रकारिता पर हमला” बताया है। उनका कहना है कि पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन को ठोस कदम उठाने चाहिए। संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।
पुलिस की कार्रवाई
उत्तराखंड पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि मामले की हर पहलू से जांच की जाएगी। पुलिस ने राजीव प्रताप के फोन, ईमेल और हाल ही में किए गए रिपोर्ट्स की गहन पड़ताल शुरू कर दी है। इसके अलावा, उनके कॉल डिटेल्स और लोकेशन रिकॉर्ड्स भी खंगाले जा रहे हैं।
जनता में रोष
पत्रकार की मौत के बाद स्थानीय लोगों में भी आक्रोश है। कई स्थानों पर लोगों ने मोमबत्ती मार्च निकालकर निष्पक्ष जांच और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की।
इस पूरे घटनाक्रम ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि SIT की जांच इस रहस्यमयी मौत की गुत्थी को सुलझा पाती है या नहीं।
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