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पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, IMA की याचिका पर कार्यवाही समाप्त

Published on: August 14, 2025
Supreme Court to Patanjali
द देवरिया न्यूज़ : सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को पारंपरिक चिकित्सा के विज्ञापनों में भ्रामक दावों के खिलाफ दायर भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की याचिका को बंद कर दिया। इस मामले में अदालत ने अपने पहले के आदेश को भी रद्द कर दिया। इस मामले में पूर्व आदेश में सख्त अनुमोदन की आवश्यकता को बरकरार रखा गया था।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ आईएमए की ओर से पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ दायर मामले की सुनवाई कर रही थी। पतंजलि पर आरोप थे कि उसकी ओर से प्रकाशित भ्रामक विज्ञापनों में आधुनिक चिकित्सा का अपमान किया गया था।
अदालत के फैसले से बाबा रामदेव और पतंजलि को बड़ी राहत
अदालत के फैसले से बाबा रामदेव और पतंजलि को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने आईएमए की तरफ से दाखिल मामले को अब बंद कर दिया है। आईएमए ने एलोपैथी को निशाना बनाकर भ्रामक विज्ञापन चलाने को लेकर पतंजलि के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। मामले में अदालत ने बीते साल योग गुरु और आचार्य बालकृष्ण को अदालत की अवमानना के मामले में राहत दे दी थी।
अदालत ने कहा- केस का उद्देश्य पहले ही पूरा हो चुका
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हमारी तरफ से इस संबंध में पहले ही कई आदेश दिए जा चुके हैं। केस का उद्देश्य पहले ही पूरा हो चुका है। इससे पहले अदालत ने पिछले साल 27 फरवरी को योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस शुरू किया था। आगे चलकर अगस्त में रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ जारी कार्यवाही को बंद कर दिया गया था। दोनों की ओर से बिना शर्त माफी मांगने के बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया था।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “कई आदेशों के बाद रिट याचिका का मकसद पूरा हो चुका है और इसमें आगे विचार की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे में रिट याचिका को बंद किया जाता है। दोनों पार्टियों को अगर आगे कोई समस्या होती है, तो उन्हें उच्च न्यायालय जाने की छूट रहेगी।”
आईएमए ने याचिका में लगाए थे ये आरोप
आईएमए ने एलोपैथी उपचार को निशाना बनाकर किए गए भ्रामक विज्ञापनों को लेकर अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि कंपनी और उसके प्रमोटर एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को बदनाम कर रहे हैं, जिसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

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