द देवरिया न्यूज़ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में बुधवार को देवरिया स्थित मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया। कार्यक्रम में ड्यूटी पर तैनात एक सब-इंस्पेक्टर (दारोगा) को नशे की हालत में अभद्र हरकतें करते हुए पाया गया, जिससे कार्यक्रम स्थल पर अफरा-तफरी मच गई और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए।
जानकारी के अनुसार, आरोपी दारोगा की तैनाती भटनी थाने में है और उसे इस विशेष कार्यक्रम के लिए मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा ड्यूटी पर भेजा गया था। इस महत्वपूर्ण आयोजन में उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। उनके अलावा जिले के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आम लोग भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार्यक्रम के दौरान दारोगा शराब के नशे में लड़खड़ाता हुआ नजर आया और उसने ड्यूटी के दौरान सार्वजनिक स्थान पर पैंट बंधवाने जैसी अशोभनीय हरकत की। यह देख वहां मौजूद लोग स्तब्ध रह गए। कुछ लोगों ने इस घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया, जिससे मामले ने तूल पकड़ लिया।
इस घटना की सूचना मिलते ही अन्य पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और मामले को शांत कराने की कोशिश की। हालांकि, आरोप है कि पुलिस विभाग के कुछ अधिकारियों ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया और दारोगा का मेडिकल परीक्षण कराने की बजाय उसे मौके से हटा दिया। इससे पुलिस की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
इतने बड़े और संवेदनशील मौके पर, जब प्रदेश के मंत्री और कई उच्चाधिकारी कार्यक्रम में मौजूद थे, वहां तैनात पुलिसकर्मी का इस तरह नशे में होना गंभीर सुरक्षा चूक माना जा रहा है। यह न केवल कानून व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा तैनाती से पहले कर्मचारियों की मनोदशा और तत्परता की सही जांच नहीं की जाती।
स्थानीय लोगों और समाजिक संगठनों ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई न होने पर भविष्य में बड़े आयोजनों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए जरूरी है कि दोषियों पर तत्काल प्रभाव से कठोर कार्रवाई की जाए।
फिलहाल, पुलिस विभाग की ओर से इस घटना को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। वहीं, यह देखना बाकी है कि जिला प्रशासन इस लापरवाही को किस तरह से लेता है और आरोपी दारोगा के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।
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