द देवरिया न्यूज़ : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंडकारण्य क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आई है। शुक्रवार को यहां 208 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। इनमें 110 महिलाएं और 98 पुरुष नक्सली शामिल हैं। सरेंडर करने वाले सभी नक्सलियों को संविधान की प्रति और गुलाब का फूल देकर स्वागत किया गया। अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक केंद्रीय समिति सदस्य (CCM), चार दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति (DKSZC) सदस्य, एक क्षेत्रीय समिति सदस्य, 21 संभागीय समिति सदस्य (DVCM), 61 एरिया समिति सदस्य (ACM), 98 पार्टी सदस्य और 22 पीएलजीए व अन्य कार्यकर्ता शामिल हैं।
भारी मात्रा में हथियार किए गए जमा
आत्मसमर्पण के दौरान नक्सलियों ने सुरक्षा बलों को 153 हथियार सौंपे। इन हथियारों में शामिल हैं —
19 एके-47 राइफल
17 एसएलआर राइफल
23 इंसास राइफल
1 इंसास एलएमजी
36 .303 राइफल
4 कार्बाइन
11 बीजीएल लॉन्चर
41 बारह बोर/सिंगल शॉट गन
1 पिस्तौल
अधिकारियों का कहना है कि यह आत्मसमर्पण अभियान उत्तर बस्तर में नक्सल गतिविधियों के अंत का संकेत है। अब केवल दक्षिण बस्तर में ही नक्सलियों का प्रभाव शेष है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां अब वहां विशेष अभियान चलाने की तैयारी कर रही हैं, ताकि पूरे छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने बताया ‘ऐतिहासिक दिन’
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस आत्मसमर्पण को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा,
“आज का दिन केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है। बड़ी संख्या में नक्सलियों ने हमारे संविधान पर विश्वास जताते हुए विकास की धारा से जुड़ने का फैसला किया है। हम उनका स्वागत करते हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को पुनर्वास योजना का लाभ देगी ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर सम्मानजनक जीवन जी सकें।
डीजीपी बोले — “भटके हुए युवा अब लौट रहे सही राह पर”
छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP) अरुण देव गौतम ने कहा कि जो युवा वर्षों से जंगलों में भटक रहे थे, उन्हें अब सच्चाई का एहसास हो गया है। उन्होंने बताया,
“ये सभी सोचते थे कि वे बस्तर की जनता के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन वास्तव में वे उनके विकास में बाधा बन रहे थे। अब जब वे संविधान और लोकतंत्र की ताकत को समझ चुके हैं, तो बस्तर का भविष्य उज्जवल होगा।”
डीजीपी ने यह भी कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली अब समाज के विकास में अपनी भूमिका निभाएंगे और यह बदलाव बस्तर की तस्वीर बदल देगा।
अबूझमाड़ क्षेत्र हुआ लगभग नक्सलमुक्त
अधिकारियों के मुताबिक, अबूझमाड़ का अधिकांश हिस्सा अब नक्सल प्रभाव से मुक्त हो गया है। सुरक्षा बलों के लगातार अभियानों और सरकार की नीतियों ने नक्सलियों के हौसले पस्त कर दिए हैं। बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण से यह स्पष्ट है कि अब नक्सलवाद का प्रभाव उत्तर बस्तर में लगभग समाप्त हो गया है। अब सरकार का अगला लक्ष्य दक्षिण बस्तर को भी लाल आतंक से मुक्त कराना है। इसके लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे और नक्सल प्रभावित गांवों में विकास योजनाएं तेज की जाएंगी।
आत्मसमर्पण करने वालों ने जताया संविधान पर भरोसा
जगदलपुर में आयोजित इस आत्मसमर्पण कार्यक्रम के दौरान नक्सलियों ने सार्वजनिक रूप से कहा कि अब वे हिंसा का रास्ता छोड़कर संविधान और लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा कि वे बस्तर के विकास के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।
छत्तीसगढ़ में बदल रहा माहौल
इस सामूहिक आत्मसमर्पण को सुरक्षा एजेंसियों ने अब तक की सबसे बड़ी सफलता बताया है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में लगातार सरकारी योजनाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के विस्तार से नक्सली विचारधारा का प्रभाव घटा है। राज्य सरकार का मानना है कि अगर इसी गति से विकास और संवाद जारी रहा तो आने वाले समय में पूरी तरह से नक्सलवाद का अंत संभव है।
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