लद्दाख के लेह में संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर 24 सितम्बर को हुए हिंसक प्रदर्शन में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे और चार लोगों की मौत हो गई थी। इन्हीं घायलों में 21 वर्षीय एक तिब्बती शरणार्थी भी शामिल है, जो वर्तमान में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के जयप्रकाश नारायण ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में भर्ती हैं।
यह छात्रा, जिसका नाम सुरक्षा कारणों से तारा (बदला हुआ नाम) बताया जा रहा है, बेंगलुरु में नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थी। घटना के बाद उसे गोली लगने से गंभीर चोटें आईं और हालत बिगड़ने पर 24 सितम्बर को लेह से एयरलिफ्ट करके दिल्ली लाया गया। वर्तमान में डॉक्टरों की टीम उसकी स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है।
गृह मंत्रालय (MHA) ने इस घटना पर बयान जारी करते हुए कहा था कि प्रदर्शन के दौरान स्थिति बेकाबू हो गई थी और पुलिस को “आत्मरक्षा” में गोली चलानी पड़ी। मंत्रालय ने यह भी स्वीकार किया कि इस गोलीबारी में कुछ लोगों की मौत हुई और कई घायल हो गए।
तिब्बती शरणार्थियों और लद्दाख के प्रदर्शनकारियों ने लंबे समय से क्षेत्र को संवैधानिक गारंटी दिए जाने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 और 35A हटने के बाद क्षेत्र की पहचान और सांस्कृतिक सुरक्षा खतरे में है। प्रदर्शन इसी मुद्दे पर किया जा रहा था, लेकिन अचानक हिंसा भड़क गई।
घटना के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर पुलिस कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए हैं और निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं, लद्दाख में प्रदर्शनकारियों ने मृतकों को न्याय दिलाने और घायलों के बेहतर इलाज की मांग को लेकर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।
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