बिहार विधानसभा चुनाव (द देवरिया न्यूज़) : भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और चर्चित गायक पवन सिंह एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सुर्खियों में आ गए हैं। मंगलवार को उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े से मुलाकात की। यह बैठक एनडीए के प्रमुख नेता और सांसद उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर हुई, जिसकी तस्वीरें तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। बैठक के बाद विनोद तावड़े ने साफ किया कि पवन सिंह भाजपा के साथ ही हैं। उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने उन्हें शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया है, और आने वाले दिनों में पवन सिंह एक सक्रिय भाजपा कार्यकर्ता के रूप में एनडीए के लिए काम करेंगे।
आरके सिंह का बयान और अटकलें
कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने यह टिप्पणी की थी कि पवन सिंह को भाजपा ने पहले टिकट दिया, लेकिन बाद में उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें किसी अन्य दल से भी टिकट नहीं मिला। आरके सिंह ने कहा था कि यह स्थिति पवन सिंह के लिए कष्टदायक रही होगी और इसलिए उन्हें दोबारा भाजपा में लौट आना चाहिए। इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई थी कि पवन सिंह भाजपा से पूरी तरह दूरी बना चुके हैं। लेकिन अब विनोद तावड़े के बयान ने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए पवन सिंह की वापसी को चर्चा का बड़ा मुद्दा बना दिया है।
कैसे बढ़ी दूरी?
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से उम्मीदवार घोषित किया था। लेकिन नामांकन की घोषणा के अगले ही दिन पवन सिंह ने इस सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। यहां तृणमूल कांग्रेस ने अभिनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारा था।
इसके बाद पवन सिंह और भाजपा के बीच खटास और बढ़ गई जब उन्होंने अचानक बिहार की काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। इस सीट पर पहले से ही एनडीए की ओर से उपेंद्र कुशवाहा का नाम तय था। पवन सिंह के मैदान में उतरने से वोट बंटे और नतीजा यह हुआ कि कुशवाहा चुनाव हार गए। इस घटना के बाद भाजपा ने पवन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया। वहीं, कुशवाहा समाज में भी भाजपा को लेकर नाराजगी फैल गई, जिसने एनडीए के भीतर तनाव को और गहरा दिया।
आगामी समीकरण
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा एनडीए के अंदरूनी मतभेदों को खत्म करना चाहती है। उपेंद्र कुशवाहा और पवन सिंह को एक मंच पर लाने की कोशिश भी इसी रणनीति का हिस्सा है। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें और भाजपा नेताओं के बयान इस ओर इशारा कर रहे हैं कि पवन सिंह की पार्टी में वापसी की राह एक बार फिर तैयार हो रही है। अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनावी माहौल में पवन सिंह भाजपा के लिए किस तरह की भूमिका निभाते हैं।
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