द देवरिया न्यूज़ : जिले की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं ने सोमवार को विकास भवन परिसर में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर अपनी मांगों को लेकर जोरदार तरीके से सरकार को जगाने का प्रयास किया। प्रदर्शन के बाद उन्होंने अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।
मुख्य मांगे: राज्य कर्मचारी का दर्जा और मानदेय में बढ़ोतरी
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की सबसे प्रमुख मांग है कि उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। इसके अलावा,
कार्यकत्रियों के लिए ₹18,000 और
सहायिकाओं के लिए ₹9,000 मासिक मानदेय
की मांग भी ज्ञापन में प्रमुखता से रखी गई है।
कार्यकत्रियों का कहना है कि वे 20 से 40 साल तक की सेवा देने के बावजूद प्रमोशन, पेंशन या ग्रेच्युटी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
ई-केवाईसी में नेटवर्क और मोबाइल की दिक्कत
प्रदर्शन के दौरान कार्यकत्रियों ने कहा कि विभाग की ओर से दिए गए मोबाइल फोन अक्सर खराब रहते हैं और नेटवर्क की समस्या के कारण ई-केवाईसी, एफआरएस (Facial Recognition System) जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं। मजबूरी में उन्हें महंगे मोबाइल किश्तों पर खरीदने पड़ रहे हैं, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
जबरन बीएलओ ड्यूटी का विरोध
जिला अध्यक्ष नीरज पांडेय ने मांग की कि कार्यकत्रियों से जबरन बीएलओ (Booth Level Officer) ड्यूटी न कराई जाए। यह उनकी मूल जिम्मेदारियों से अलग है और इसका कोई अतिरिक्त लाभ नहीं दिया जाता, जिससे कार्यकत्रियों में असंतोष है।
पोषाहार की आपूर्ति और केंद्रों के लिए भवन की मांग
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि
पोषाहार का वितरण नियमित रूप से किया जाए,
चावल की आपूर्ति नैफेड के माध्यम से सीधे केंद्रों तक पहुंचाई जाए,
और जब तक विभागीय भवन न मिलें, तब तक किराए पर केंद्र चलाने की अनुमति दी जाए।
सेवा नियमावली और पेंशन की मांग
प्रदर्शनकारी कार्यकत्रियों ने यह भी मांग की कि उनके लिए स्पष्ट सेवा नियमावली बनाई जाए और सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की सुविधा दी जाए। कार्यकत्रियों ने बताया कि वर्तमान में कोई भविष्य की सुरक्षा नहीं है, जिससे वे मानसिक तनाव में हैं।
धरना में भारी संख्या में कार्यकत्रियों की भागीदारी
धरना-प्रदर्शन में जिला महामंत्री सुनीता यादव समेत बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं ने भाग लिया। सभी ने एकजुट होकर नारेबाजी की और कहा कि यदि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।
“हमें हक चाहिए, कोई एहसान नहीं”
प्रदर्शन के दौरान कार्यकत्रियों ने नारे लगाए—
“सेवा का सम्मान चाहिए, पेंशन और अधिकार चाहिए!”
“हमसे मत कराओ जबरन काम, दो हमें हमारा पूरा दाम!”
देवरिया की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की ये मांगें सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और पहचान की भी लड़ाई बन चुकी हैं। अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस पर कितना और कितनी जल्दी संज्ञान लेता है।
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