नई दिल्ली, पीटीआई। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके तहत लोकसभा के कई सांसदों से हस्ताक्षर एकत्र किए जा रहे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि यह प्रस्ताव संसद के निचले सदन में पेश किया जा सकता है।
🔷 विवाद की जड़: आग और जले हुए नोट
मार्च में दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने की घटना के बाद उनके बाहरी कमरे में नकदी से भरी जली हुई बोरियां बरामद हुई थीं। इस घटना के बाद उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से हटाकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था।
🔷 आंतरिक जांच में दोषी ठहराए गए
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना के आदेश पर हुई आंतरिक जांच में यह निष्कर्ष निकला कि वर्मा और उनके परिवार का उस स्टोररूम पर गोपनीय या सक्रिय नियंत्रण था, जहां जली हुई नकदी मिली थी। इससे न्यायिक आचरण पर सवाल खड़े हुए हैं।
🔷 वर्मा का पक्ष: गलत काम से इनकार
जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने इस्तीफा देने से भी इनकार कर दिया है। इसके बाद यह मामला सीधे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंप दिया गया।
🔷 संसद सत्र में प्रस्ताव पेश करने की तैयारी
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि वर्मा को हटाने का प्रस्ताव 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद सत्र में पेश किया जाएगा।
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लोकसभा में इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं।
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राज्यसभा के लिए 50 सांसदों का समर्थन आवश्यक होता है।
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