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देवरिया: दिशा बैठक में करुअना-मगहरा मार्ग और वेतन घोटाले पर घमासान, एमएलसी बोले– अधिकारियों ने पार की ‘लक्ष्मणरेखा’, सदन में उठाऊंगा मुद्दा

Published on: July 13, 2025
Deoria Disha baithak me
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देवरिया ज़िले की विकास योजनाओं और प्रशासनिक कामकाज को लेकर आयोजित दिशा समिति की बैठक शनिवार को तीखी राजनीतिक और प्रशासनिक नोकझोंक का अखाड़ा बन गई। बरहज विधायक दीपक मिश्र शाका और बीएसए शालिनी श्रीवास्तव के बीच विवाद, फिर एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह का तीखा बयान—इन सबने मिलकर बैठक को सुर्खियों में ला दिया।


क्या है पूरा मामला?

1. विधायक का आरोप – करुअना-मगहरा सड़क निर्माण में घपला:
बरहज विधायक दीपक मिश्र शाका ने बैठक में करुअना-मगहरा मार्ग के निर्माण को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि सड़क के लिए शासन से स्वीकृत धन को बिना किसी सरकारी अनुमति के अन्य कार्यों में खर्च कर दिया गया। विधायक ने सवाल उठाया कि जब पाँच सालों से सड़क निर्माण लंबित है, तो जनता अब सीधे सवाल विधायक से कर रही है।

2. बीएसए-विधायक आमने-सामने:
विधायक ने एक महिला शिक्षिका के वेतन विवाद और एक सहायक लेखाकार के ट्रांसफर को लेकर भी सवाल उठाए, जिस पर बीएसए शालिनी श्रीवास्तव ने विधायक पर दबाव डालने का आरोप लगा दिया। इससे माहौल गर्मा गया। बैठक में मौजूद एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने मामले को शांत कराने का प्रयास किया, लेकिन अंततः उन्होंने कहा कि “अधिकारियों ने लक्ष्मणरेखा पार की है, मैं इसे विधान परिषद के मानसून सत्र में उठाऊंगा।”

3. डीएम की सख्ती:
जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी ट्रांसफर पर जनप्रतिनिधि दबाव नहीं बना सकते और शासनादेश की अवहेलना स्वीकार नहीं की जाएगी।


करुअना-मगहरा सड़क की पूरी फाइल:

  • वर्ष 2020 में शासन से करुअना-परसिया-मगहरा-सलेमपुर मार्ग के निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई थी।

  • ठेका मेसर्स रवि कंस्ट्रक्शन को दिया गया था, लेकिन दो वर्ष सात माह बाद भी कार्य अधूरा रहा।

  • जून 2024 में ठेका रद्द कर 11 सितंबर 2024 को नया कार्यादेश मेसर्स केसराम कांट्रैक्टर को जारी किया गया।

  • धन की उपलब्धता न होने से कार्य शुरू नहीं हो सका।

  • 17 अक्टूबर 2024, 7 दिसंबर 2024, और 9 जुलाई 2025 को प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को पत्र भेजे गए हैं।

  • फिलहाल सतह सुधार के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति लंबित है।


वेतन अनियमितता का मुद्दा:

  • शिक्षिका शशिबाला वर्मा की सेवा समाप्ति की तिथि 31 मार्च 2024 थी।

  • लेकिन मानव संपदा पोर्टल पर गलत प्रविष्टि के कारण 31 मार्च 2025 दर्ज हो गया।

  • इससे वे अक्टूबर 2024 तक वेतन लेती रहीं।

  • जिलाधिकारी के निर्देश पर सीडीओ प्रत्यूष पांडेय के नेतृत्व में जांच समिति गठित की गई है।

  • रिपोर्ट जल्द सौंपी जाएगी। दोषियों की पहचान की जा रही है।


राजनीतिक और प्रशासनिक घमासान:

  • विधायक दीपक मिश्र ने कहा कि “जनता की सिफारिशों की अनदेखी निंदनीय है।”

  • वहीं बीएसए ने बयान दिया कि “राजनीतिक दबाव के ज़रिए ट्रांसफर कराया जा रहा था।”

  • एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने स्पष्ट कहा, “अधिकारियों का यह रवैया न बर्दाश्त होगा, न दबेगा।”


निष्कर्ष:

देवरिया ज़िले की विकास योजनाओं और प्रशासनिक पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जनप्रतिनिधि जहां जनता की आवाज़ बनकर सवाल उठा रहे हैं, वहीं अधिकारी शासनादेश और मर्यादाओं की दुहाई दे रहे हैं। अब देखना यह होगा कि यह मुद्दा विधान परिषद में कितनी गंभीरता से उठता है और इससे जिले में कितना असर पड़ता है।

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