नई दिल्ली, ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में भारत को 2025 के लिए संगठन की अध्यक्षता सौंपी गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अध्यक्षता संभालते ही यह संकेत दे दिया है कि भारत की अगुवाई में ब्रिक्स अब केवल सरकारों तक सीमित संगठन नहीं रहेगा, बल्कि यह आम लोगों के हितों को केंद्र में रखकर “जन-केन्द्रित और मानवता-प्रथम” दृष्टिकोण के साथ कार्य करेगा।
PM मोदी का ब्रिक्स एजेंडा: नया दृष्टिकोण, नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि भारत ब्रिक्स को केवल एक बहुपक्षीय संगठन की तरह नहीं, बल्कि एक सक्रिय और सहभागी मंच के रूप में विकसित करना चाहता है, जो वैश्विक दक्षिण (Global South) की चिंताओं को मजबूती से सामने रखे। उन्होंने कहा,
“जैसे हमने G-20 की अध्यक्षता के दौरान वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को प्राथमिकता दी थी, वैसे ही अब ब्रिक्स को भी जन-केंद्रित और टिकाऊ विकास की दिशा में आगे ले जाएंगे।”
भारत के नेतृत्व पर वैश्विक समर्थन
पीएम मोदी की घोषणाओं और भारत के दृष्टिकोण को ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों—ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, साथ ही हाल ही में शामिल हुए नए सदस्य देशों—ने उत्साहपूर्वक समर्थन दिया है। कई राष्ट्रों ने खुलकर भारत के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि भारत की नीति “समावेशी विकास और वैश्विक भागीदारी” पर आधारित है, जो ब्रिक्स जैसे मंच को और प्रभावशाली बना सकती है।
केंद्रबिंदु होंगे तीन प्रमुख क्षेत्र:
भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स की प्राथमिकता निम्नलिखित क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगी:
क्षमता निर्माण और तकनीकी सहयोग: विकासशील देशों के लिए प्रशिक्षण, नवाचार और साझा तकनीक आधारित समाधानों को बढ़ावा देना।
सतत विकास और जलवायु नेतृत्व: भारत ब्रिक्स के तहत हरित ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन से निपटने और टिकाऊ संसाधनों के इस्तेमाल को प्राथमिकता देगा।
जनकेंद्रित पहलें: भारत शिक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल समावेश और स्टार्टअप्स जैसे क्षेत्रों में आम लोगों को लाभ पहुंचाने वाले कार्यक्रमों को प्राथमिकता देगा।
G-20 से ब्रिक्स तक – वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बना भारत
G-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने जिस तरह वैश्विक दक्षिण की चिंता को केंद्र में रखा—चाहे वह अफ्रीकी संघ को G-20 में स्थायी सदस्यता देना हो, या डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर मॉडल को साझा करना—उसी तरह ब्रिक्स को भी वैश्विक दक्षिण की वास्तविक जरूरतों का मंच बनाने की योजना है।
डिजिटल सहयोग और स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा
भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure) जैसे आधार, यूपीआई, को-विन जैसे मॉडल को ब्रिक्स देशों के साथ साझा करेगा। इसके साथ ही, ब्रिक्स स्टार्टअप फोरम की स्थापना कर नवाचार और युवा उद्यमियों को एकजुट करने की दिशा में पहल की जाएगी।
भारत की अध्यक्षता में नई उम्मीदें
भारत के इस दृष्टिकोण को न केवल ब्रिक्स सदस्य देशों, बल्कि अन्य विकासशील देशों से भी सराहना मिल रही है। रियो सम्मेलन में कई देशों ने यह आशा जताई कि भारत के नेतृत्व में ब्रिक्स अधिक सहभागी, प्रभावशाली और नीति-निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाला मंच बनेगा।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत ब्रिक्स को केवल एक राजनीतिक और आर्थिक मंच के बजाय, आम जन की आकांक्षाओं को स्वर देने वाला संगठन बनाना चाहता है। “जन-प्रथम, मानवता-प्रथम” की सोच के साथ भारत का ब्रिक्स नेतृत्व वैश्विक सहयोग की नई मिसाल बन सकता है, जैसे G-20 में बन चुका है।
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