नई दिल्ली ! देश के प्रत्येक गांव में सहकारी संस्थाएं स्थापित करने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में आयोजित ‘मंथन बैठक’ के दौरान घोषणा की कि अगले पांच वर्षों में देश के हर गांव में कम से कम एक सहकारी संस्था स्थापित की जाएगी।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति जल्द
इस अवसर पर शाह ने कहा कि सरकार जल्द ही राष्ट्रीय सहकारिता नीति घोषित करेगी, जो 2045 तक के विज़न को ध्यान में रखते हुए तैयार की जा रही है। इस नीति के तहत हर राज्य को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप सहकारिता नीति तैयार करने की स्वतंत्रता दी जाएगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि सहकारिता में भाई-भतीजावाद की जगह पारदर्शिता, नवाचार और अनुशासन को बढ़ावा दिया जाए। इसी उद्देश्य से त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी को सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों से जोड़ा जाएगा ताकि राज्यों में सहकारी प्रशिक्षण व्यवस्था को सशक्त बनाया जा सके।
बैठक का उद्देश्य और प्रमुख बिंदु
अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक का उद्देश्य था —
सहकारी आंदोलन को मजबूत करना,
केंद्र और राज्यों के बीच नीति संवाद को प्रोत्साहित करना,
तथा सहकारिता योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करना।
बैठक में यह तय किया गया कि फरवरी 2025 तक दो लाख नए PACS (प्राथमिक कृषि ऋण समितियां) बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि पूंजी की कमी से जूझ रहे करोड़ों युवाओं को सहकारिता के ज़रिए उद्यमशीलता का अवसर दिया जा सकता है।
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बनेगा
सरकार की 60 बड़ी पहलों में सबसे अहम है राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का निर्माण। इसके जरिए यह जानकारी मिलेगी कि किस राज्य के कौन से गांव में सहकारी संस्था मौजूद नहीं है। यह डेटा आगामी पांच वर्षों में गांव-स्तर पर सहकारिता संस्थाओं की स्थापना को सरल बनाएगा।
श्वेत क्रांति 2.0 और अनाज भंडारण योजना पर चर्चा
बैठक में कई अन्य अहम विषयों पर भी विमर्श किया गया, जैसे —
श्वेत क्रांति 2.0 के ज़रिए टिकाऊ डेयरी अर्थव्यवस्था का निर्माण
दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना का कार्यान्वयन
पल्सेज़ और मक्का की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की रणनीति
डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा वितरण बढ़ाने की योजना
सहकारी बैंकिंग और क्रेडिट सिस्टम में पारदर्शिता
अमित शाह ने सहकारी बैंकों और क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों में संचालन की पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि सहकारिता को मजबूत करने के लिए राज्यों के बीच नीतिगत सुझावों और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान बेहद जरूरी है।
📌 निष्कर्ष:
अमित शाह के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय देश को एक सशक्त, पारदर्शी और समावेशी सहकारी ढांचे की ओर ले जाने की दिशा में प्रतिबद्ध दिख रहा है। आगामी वर्षों में सहकारिता ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
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