नई दिल्ली, बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision) के तहत मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया राजनीतिक बहस का केंद्र बन गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस अभियान के डिजिटल स्वरूप पर सवाल उठाते हुए इसे भाजपा की “साजिश” बताया, लेकिन चुनाव आयोग ने उनके दावे को सिरे से खारिज करते हुए भ्रामक करार दिया है।
क्या है मामला?
बिहार में चुनाव आयोग मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए एक विशेष गहन पुनरीक्षण चला रहा है। इस अभियान के तहत लोगों को ऑनलाइन माध्यम से वोटर आईडी से जुड़ी जानकारी अपडेट करने, नए वोटर के रूप में पंजीकरण कराने और आवश्यक सुधार करने की सुविधा दी जा रही है।
चुनाव आयोग ने मतदाताओं की सुविधा के लिए QR कोड और बारकोड आधारित आवेदन प्रक्रिया शुरू की है, जिससे लोग अपने स्मार्टफोन के जरिए फॉर्म भर सकते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने नाराजगी जताई है।
खरगे का आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पहल को भाजपा की साजिश बताते हुए दावा किया कि इस प्रक्रिया के जरिए गरीब, ग्रामीण और अनपढ़ मतदाताओं को सूचियों से बाहर किया जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि डिजिटल सिस्टम को जटिल बनाकर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है।
चुनाव आयोग का जवाब
इन आरोपों का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने एक बयान जारी किया और कहा कि खरगे द्वारा दिए गए बयान तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और भ्रामक हैं। आयोग ने साफ किया कि:
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ऑनलाइन आवेदन के साथ दस्तावेजों की सत्यापना अभी भी आवश्यक है।
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यह सुविधा मैनुअल प्रक्रिया का विकल्प नहीं, बल्कि एक अतिरिक्त सुविधा है।
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सभी पात्र मतदाताओं को, चाहे वे डिजिटल रूप से सक्षम हों या नहीं, समान अवसर और सुविधा दी जा रही है।
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बीएलओ (Booth Level Officers) गांवों, कस्बों और शहरी क्षेत्रों में जाकर मतदाताओं की मदद कर रहे हैं।
आयोग का तर्क:
चुनाव आयोग ने कहा कि विशेष पुनरीक्षण का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक स्वच्छ, अद्यतित और समावेशी बनाना है, न कि किसी विशेष वर्ग को बाहर करना। QR कोड या मोबाइल एप्लीकेशन जैसी तकनीकें सुविधा बढ़ाने के लिए हैं, न कि प्रक्रिया को जटिल करने के लिए।
तकनीक से पारदर्शिता और पहुंच में वृद्धि
चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि ऑनलाइन प्रक्रिया से युवा मतदाताओं, कामकाजी वर्ग और दूरदराज क्षेत्रों के नागरिकों को तेजी से और पारदर्शी तरीके से सेवाएं मिल रही हैं। डिजिटल सिस्टम से शिकायतों की निगरानी और समाधान भी तेज हो गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा
कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दल इस डिजिटल प्रणाली पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि प्रक्रिया नियमों और संविधान के दायरे में रहकर चलाई जा रही है। आने वाले दिनों में आयोग इस पर विस्तृत संवाद के लिए तैयार है।
निष्कर्ष:
बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण अभियान को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि ऑनलाइन प्रक्रिया पारदर्शिता और सुविधा के लिए है, और किसी भी वर्ग के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। मल्लिकार्जुन खरगे के आरोपों को लेकर आयोग ने तथ्यों के आधार पर जवाब देकर अपनी स्थिति साफ की है। अब देखना होगा कि यह मामला राजनीतिक बहस तक सीमित रहता है या कानूनी दायरे में भी जाता है।
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