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बिहार में मतदाता सूची सत्यापन पर गहराया विवाद: प्रवासी वोटरों की बढ़ती संख्या और फर्जी ईपिक पर आयोग की सख्ती

Published on: June 30, 2025
बिहार में मतदाता सूची
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नई दिल्ली ! बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के सघन सत्यापन और पुनरीक्षण अभियान को लेकर जहां राजनीतिक विवाद तेज़ हुआ है, वहीं चुनाव आयोग ने इसे लोकतंत्र की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम बताया है।

आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में प्रवासियों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि वह जीत-हार के अंतर को प्रभावित कर सकती है। यह स्थिति लोकतांत्रिक अखंडता के लिए चिंता का विषय है।

प्रवासी मतदाताओं की बढ़ती संख्या
2011 की जनगणना और विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, वर्ष 2001 में भारत में जहां 31 करोड़ प्रवासी मतदाता थे, वहीं 2021 में यह संख्या बढ़कर लगभग 45 करोड़ हो गई है। यह कुल मतदाताओं का लगभग 29 प्रतिशत है। इन आंकड़ों ने आयोग को मतदाता सूची की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने को बाध्य किया है।

फर्जी ईपिक और पुरानी तस्वीरों की समस्या
कई मतदाता ऐसे हैं जो अपने पहले निवास स्थान से जारी ईपिक को बनाए रखने में सफल रहे हैं, जबकि वे अब कहीं और सामान्य निवासी हैं। यह जानबूझकर या अनजाने में किया गया कानूनी अपराध है।
साथ ही, बड़ी संख्या में मतदाता पहचान पत्रों में इतनी पुरानी तस्वीरें हैं कि मौजूदा समय में उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि नई तस्वीरों के माध्यम से सत्यापन आसान होगा और फर्जी मतदाताओं को हटाया जा सकेगा।

2004 के बाद नहीं हुआ सत्यापन
आयोग ने बताया कि 2004 के बाद कोई व्यापक सत्यापन नहीं किया गया है। इसलिए कई अपात्र व्यक्ति ईपिक प्राप्त कर चुके हैं, जिनके पास वैध दस्तावेज भी नहीं हैं। इस बार का सत्यापन ऐसे लोगों की पहचान करने में मदद करेगा और भविष्य में शिकायतों में कमी आएगी।

इतिहास के अनुसार, 1952 से 2004 तक 52 वर्षों में नौ बार गहन संशोधन कर मतदाता सूची तैयार की गई थी — यानी हर छह साल में एक बार। लेकिन बिहार में पिछले 22 वर्षों से ऐसा कोई संशोधन नहीं हुआ, जो अब चिंता का कारण बना है।

राजनीतिक विरोध और समर्थन दोनों
जहां कुछ राजनीतिक दल इस सत्यापन अभियान का विरोध कर रहे हैं, वहीं कई जनप्रतिनिधियों ने इसका खुले तौर पर समर्थन भी किया है। आयोग ने सोमवार को जो फीडबैक साझा किया, उसके अनुसार बिहार के हथुआ विधानसभा क्षेत्र से राजद विधायक राजेश कुमार सिंह कुशवाहा ने एक पंपलेट जारी कर आयोग के सत्यापन अभियान की जानकारी साझा की और लोगों से सक्रिय भागीदारी की अपील की है।


📌 निष्कर्ष:
चुनाव आयोग का यह कदम जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में उठाया गया प्रयास है, वहीं इसे लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। प्रवासी मतदाताओं की भूमिका और ईपिक की प्रामाणिकता जैसे मुद्दे अब चुनावी विमर्श के केंद्र में हैं।

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