ट्रेंडिंग न्यूज़ देवरिया न्यूज़ उत्तर प्रदेश न्यूज़ राष्ट्रीय न्यूज़ अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ राजनीतिक न्यूज़ अपराधिक न्यूज़ स्पोर्ट्स न्यूज़ एंटरटेनमेंट न्यूज़ बिज़नस न्यूज़ टेक्नोलॉजी अपडेट लेटेस्ट गैजेट अपडेट मौसम
Breaking News
---Advertisement---

हिंदी विरोध ने बढ़ाई ठाकरे बंधुओं की नजदीकी, महाविकास आघाड़ी में दरार की आशंका

Published on: June 30, 2025
हिंदी विरोध ने बढ़ाई
---Advertisement---

मुंबई ! हिंदी भाषा को लेकर जारी विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई करवट ले ली है। राज और उद्धव ठाकरे, जो दो दशकों से अलग राजनीतिक राह पर थे, अब हिंदी विरोध के बहाने एक मंच पर आने की तैयारी कर रहे हैं। यह नजदीकी महाविकास आघाड़ी (MVA) में दरार की आशंका को बढ़ा सकती है, खासकर जब राष्ट्रीय दल कांग्रेस उनके रुख से सहमत नहीं दिख रही।


🔹 ठाकरे बंधु एक मंच पर—राजनीतिक समीकरणों में बदलाव

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने घोषणा की थी कि 5 जुलाई को वे मुंबई के गिरगांव चौपाटी से आजाद मैदान तक मार्च करेंगे, जिसमें वे महाराष्ट्र की प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी को अनिवार्य किए जाने के सरकार के फैसले का विरोध करेंगे।

इस मार्च में उद्धव ठाकरे भी पहली बार लगभग 20 वर्षों के अंतराल के बाद अपने चचेरे भाई राज के साथ किसी राजनीतिक रैली में शामिल होने वाले थे। यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा था, जो आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए बड़ा संकेत बन सकता है।


🔹 सरकार ने लिया फैसला वापस, लेकिन ‘विजय जुलूस’ की घोषणा

हालांकि, विरोध मार्च से ठीक पहले महाराष्ट्र सरकार ने प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी की अनिवार्यता का फैसला वापस ले लिया है। इससे जहां विरोध मार्च को टाल दिया गया, वहीं उद्धव ठाकरे ने 5 जुलाई को ‘विजय जुलूस’ के रूप में इसे मनाने की घोषणा की है, जिसमें वे राज ठाकरे के साथ मंच साझा करेंगे।


🔹 कांग्रेस हो सकती है असहज

राज और उद्धव की यह बढ़ती नजदीकी महाविकास आघाड़ी (शिवसेना-उद्धव, कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन) के भीतर राजनीतिक असहजता का कारण बन सकती है।
कांग्रेस हिंदी विरोध की राजनीति से दूरी बनाए रखती रही है और मनसे की कट्टर क्षेत्रीय राजनीति के साथ किसी प्रकार की समीपता उसे राजनीतिक रूप से असहज कर सकती है।

राज-उद्धव की साझेदारी अगर स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन का रूप लेती है, तो यह कांग्रेस की भूमिका और प्रभाव को सीमित कर सकती है।


📌 निष्कर्ष:
हिंदी अनिवार्यता का मुद्दा भले ही सुलझ गया हो, लेकिन ठाकरे बंधुओं की बढ़ती निकटता महाराष्ट्र की राजनीति में नई खेमेबंदी की शुरुआत कर सकती है। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह गठजोड़ राजनीतिक समीकरणों को बदलने वाला मोड़ साबित होता है, या महाविकास आघाड़ी के भीतर तनाव और फूट की वजह बनता है।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment