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भारत में पहला कार्बन बाजार: 460 से अधिक उद्योगों को उत्सर्जन लक्ष्य, उल्लंघन पर लगेगा आर्थिक दंड

Published on: June 30, 2025
भारत में पहला कार्बन
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नई दिल्ली ! भारत सरकार ने औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण और कार्बन उत्सर्जन में कटौती की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। पर्यावरण मंत्रालय ने देश के पहले अनुपालन-आधारित कार्बन बाजार (Compliance-based Carbon Market) के तहत 460 से अधिक औद्योगिक इकाइयों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन लक्ष्य प्रस्तावित किए हैं।

यह प्रस्ताव 23 जून को जारी “कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (CCTS) 2023” के मसौदे के तहत सामने आया है, जिसका उद्देश्य भारत में डीकार्बोनाइजेशन को गति देना और वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करना है।


किन क्षेत्रों पर लागू होंगे ये नियम?
यह योजना एल्युमीनियम, लोहा और इस्पात, पेट्रोलियम रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल्स, कपड़ा जैसे उच्च उत्सर्जन वाले क्षेत्रों पर लागू होगी। इन क्षेत्रों में कार्यरत औद्योगिक इकाइयों को अब निश्चित समय-सीमा के भीतर अपने GHG उत्सर्जन स्तर को कम करना होगा।


क्या है योजना का ढांचा?

  • नामित औद्योगिक इकाइयों को हर वर्ष उत्सर्जन कटौती के लक्ष्य दिए जाएंगे।

  • यदि कोई इकाई तय सीमा से अधिक उत्सर्जन करती है, तो उसे कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट खरीदने होंगे।

  • नियमों का उल्लंघन करने पर वित्तीय जुर्माना लगाया जाएगा।


भारत का पहला अनुपालन-आधारित कार्बन बाजार
यह पहल भारत को उन गिने-चुने देशों की सूची में शामिल करती है, जहां “अनिवार्य” कार्बन मार्केट स्थापित किया गया है। अब तक भारत में स्वैच्छिक कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग की सुविधा थी, लेकिन अब यह कानूनन बाध्यकारी व्यवस्था बनने जा रही है।


सरकार का उद्देश्य और वैश्विक संदर्भ
इस योजना का लक्ष्य है:

  • औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले कुल GHG उत्सर्जन को चरणबद्ध तरीके से कम करना,

  • भारत के नेट-ज़ीरो 2070 लक्ष्य की ओर ठोस कदम बढ़ाना,

  • और हरित प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए उद्योगों को प्रेरित करना।


निष्कर्ष:
कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम 2023 न केवल भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को मजबूती देती है, बल्कि उद्योगों के लिए एक नए पारदर्शी और उत्तरदायी तंत्र की भी नींव रखती है। अब देखना होगा कि इस नीति का क्रियान्वयन किस गति और प्रभावशीलता से होता है।


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