भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान और चीन के बढ़ते रणनीतिक सहयोग को लेकर बड़ा बयान देते हुए भारत की सुरक्षा के लिए इसे एक गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दोनों देशों का सैन्य और कूटनीतिक रूप से करीब आना भारत के लिए एक रणनीतिक चेतावनी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
जनरल चौहान ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत को ‘टू-फ्रंट वॉर’ (दो मोर्चों पर युद्ध) की संभावना को लेकर हमेशा तैयार रहना चाहिए। पाकिस्तान और चीन की संयुक्त गतिविधियां — चाहे वो सीमा पर हों या कूटनीतिक मंचों पर — भारतीय रक्षा नीति के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रही हैं।
🔍 पाक-चीन की बढ़ती सामरिक साझेदारी:
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सीपेक (CPEC) और वन बेल्ट वन रोड (OBOR) जैसी परियोजनाएं न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सुरक्षा दृष्टिकोण से भी भारत के लिए चिंता का विषय हैं।
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पाकिस्तान में चीन द्वारा किए जा रहे बुनियादी ढांचे, बंदरगाहों और सड़कों का निर्माण — विशेषकर ग्वादर पोर्ट — को भारत सैन्य दृष्टी से भी देख रहा है।
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चीन और पाकिस्तान की संयुक्त सैन्य अभ्यासों की संख्या में लगातार इज़ाफा हो रहा है, जिससे दोनों देशों की सामूहिक ऑपरेशनल क्षमता भी बढ़ रही है।
⚠️ भारत के लिए खतरे के संकेत:
जनरल चौहान ने कहा कि:
“भारत को दोनों सीमाओं पर समान रूप से सतर्क रहना होगा — एलएसी (चीन के साथ) और एलओसी (पाकिस्तान के साथ)। ये दोनों देश अलग-अलग रणनीति से, लेकिन एक ही लक्ष्य के साथ भारत को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की सेना हर परिस्थिति के लिए तैयार है, लेकिन राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर भी सतर्कता जरूरी है।
🛡️ रक्षा तैयारियों में तेजी:
भारत ने बीते वर्षों में अपनी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे, सड़क निर्माण, हवाई पट्टियों, और सुरक्षा चौकियों को मजबूत किया है। साथ ही, राफेल, अपाचे, और तेजस जैसे उन्नत हथियारों और विमानों की तैनाती से भारत की रणनीतिक ताकत भी बढ़ी है।
सीडीएस के बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार और सेना दोनों ही पाकिस्तान-चीन की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं और आवश्यक कदम उठाने के लिए पूरी तरह तत्पर हैं।
🗣️ कूटनीतिक मोर्चे पर भी सतर्कता जरूरी:
CDS ने यह भी कहा कि भारत को आंतरिक स्थिरता बनाए रखते हुए, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सार्थक रणनीतिक संवाद और गठजोड़ की आवश्यकता है, ताकि इन दोनों पड़ोसी देशों की जुगलबंदी को प्रभावी तरीके से चुनौती दी जा सके।
निष्कर्ष:
पाकिस्तान और चीन का साथ आना अब केवल रणनीतिक साझेदारी नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। CDS का यह बयान साफ इशारा है कि भारत को हर मोर्चे पर चाक-चौबंद रहना होगा, चाहे वह सैन्य हो, कूटनीतिक हो या तकनीकी।
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